۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
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हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने वफ़ाक़ुल मदारिस शिया पाकिस्तान के अध्यक्ष आयतुल्लाह हाफ़िज़ सैयद रियाज़ हुसैन नक़वी नजफ़ी के पत्र के जवाब में कहा कि इस्लामी विद्वानों को फ़िलिस्तीन और लेबनान में प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन करते हुए इज़राईल के अपराधों पर रोशानी डालना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने वेफ़ाक़ुल मदारिस शिया पाकिस्तान के अध्यक्ष आयतुल्लाह हाफ़िज़ सैयद रियाज़ हुसैन नक़वी नजफ़ी के पत्र के जवाब में कहा कि इस्लामी विद्वानों को फ़िलिस्तीन और लेबनान में प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन करते हुए ज़ायोनी शासन के अपराधों पर और कुछ पश्चिमी देशों की निंदनीय चुप्पी और समर्थन पर रौसशानी डालनी चाहिए।

आयतुल्लाह आराफी ने अपने पत्र में हज़रतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हसन नसरुल्लाह और अन्य मुजाहिदीन की शहादत को इस्लाम और मक्तब-ए-अहलेबैत अ.स. के लिए गर्व का कारण बताया उन्होंने कहा कि उनकी शहादतों से उम्मत ए इस्लामिया में प्रतिरोध और आत्मसामर्थ्य की भावना और भी मजबूत होगी।

आयतुल्लाह आराफी ने कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बावजूद प्रतिरोध का झंडा कभी झुकेगा नहीं और यह आंदोलन अपनी पूरी शक्ति और अधिकार के साथ जारी रहेगा जब तक कि ग़ासिब इस्राएल और अपराधी शासन का पतन नहीं हो जाता।

उन्होंने इस्लामी विद्वानों को इस बात पर जोर देने के लिए कहा कि वह अपने देशों में आध्यात्मिक और वित्तीय रूप से प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन करें और ज़ायोनी शासन के अपराधों के साथ साथ कुछ पश्चिमी देशों की निंदनीय चुप्पी और समर्थन के बारे में जनता को जागरूक करें।

अंत:में आयतुल्लाह आराफी ने प्रतिरोध की समर्थन के लिए सभी विद्वानों शिक्षकों और जनता का आभार व्यक्त करते हुए यह विश्वास दिलाया कि इस्राएल का पतन निकट है और यह नकली और ज़ालिम सरकार जल्द ही खत्म हो जाएगी।

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